- Get link
- X
- Other Apps
जापान को ' उगते हुए सूरज का देश कहा जाता है । प्रातःकाल उदित होत सूरज की सबसे पहली किरण जापान को ही नींद से जगाती है । इलेक्ट्रॉनिक्स और विज्ञान तकनीकी के क्षेत्र में जापान ने विशेष सफलता प्राप्त की है । यहाँ की तकनीक संपूर्ण विश्व में अपनी गुणवत्ता के लिए नाम कमा चुकी है । एफिल टावर से प्रेरित होकर 1958 में टोकियो के ' मिनटो ' नामक स्थान पर टोकियो टावर का निर्माण किया गया था । सफ़ेद और नारंगी रंग के इस टावर की ऊँचाई 333 मीटर ( लगभग 1093 फुट ) है । यह टावर अपनी ऊँचाई से जापान के तकनीकी विकास की घोषणा करता प्रतीत होता है । जापान में लोग एक दूसरे का अभिनंदन करने के लिए अपना सिर झुका कर , ' योरो शिकु आनेगाई शिमासु ' बोलते हैं । इसका अर्थ स्वागत करना होता है । जापान का पारंपरिक बौद्ध मंदिर ' कामाकुरा ' में स्थित है । इसकी स्थापना 1252 में हुई थी । इस मंदिर में स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा 13.35 मीटर ऊँची है । जापानी लोग पारंपरिक संस्कृति को अपनी बहुमूल्य धरोहर मानते हैं । यहाँ अधिकतर लोग पारंपरिक कपड़े ही पहनते हैं जिन्हें ' किमोनो ' कहते हैं । ये कपड़े सिल्क के बने होते हैं । लोग घर , त्योहार , विवाह आदि में किमोनो पहनते हैं परंतु कार्यालय जाते समय पाश्चात्य शैली का पहनावा पहनते हैं । यहाँ एक बड़ा और प्रसिद्ध पार्क है जहाँ चारों ओर हरियाली के साथ - साथ बंदर भी खूब दिखाई देते हैं । पार्क में आए लोग बड़े शौक से बंदरों के करतब देखते हैं । पार्क के पास ही एक बड़ा सा तालाब है । इस तालाब को जापानियों ने बनाया है । जापान की बुलेट ट्रेन तो सारे विश्व में प्रसिद्ध है । इस ट्रेन का नाम ' शिनकानसेन ' है । यह ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है । इसकी एक विशेषता यह भी है कि इसमें दरवाजों के ऊपर बड़ी - बड़ी एल . सी . डी . स्क्रीन लगी हैं । इन पर जापानी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखित रूप से स्टेशन से संबंधित जानकारी दिखाई जाती है । इस कारण ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती । जापान का सबसे ऊँचा पर्वत ' फुजि पर्वत ' है जो 3776 मीटर ऊँचा है । जुलाई से अगस्त तक का समय इस पर्वत पर चढ़ने के लिए सबसे अच्छा समझा जाता है । प्रतिवर्ष बहुत से विदेशी भी इस पर्वत पर चढ़ने का प्रयत्न करते हैं । अगस्त के ही महीने में जापान में ' अवा ओडॉरी ' नाम का त्योहार भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है । इसे सामूहिक नृत्य भी कहते हैं । 2004 में जब जापान में ' तोहोकू ' नामक भूकंप और सुनामी ने तबाही मचाई तो वहाँ भोजन की भी बहुत कमी हो गई । इस समय सिमामुरा नामक व्यक्ति ने खाली पड़ी एक फैक्ट्री में खेती करने का विचार किया । आज यह संसार का सबसे बड़ा कमरों में खेती करने वाला फ़ार्म है । शिमामुरा कहते हैं कि तकनीकी रूप से देखा जाए तो हम इस प्रकार की जाने वाली खेतो में अधिकतर सभी कुछ उगा सकते हैं परंतु जल्दी से तैयार हो जाने वाली सब्जियाँ उगाना सस्ता पड़ता है । उनका कहना है कि संसार की बदलतो जलवायु की परिस्थितियों में इस प्रकार की जाने वाली खेती एक दिन हमारी आवश्यकता भी बन सकती है ।
Comments
Post a Comment