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Showing posts from July 5, 2022

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भारत रत्न सम्मान से पुरस्कृत भूपेन हजारिका की जीवनी

भारत के लोक संगीत को जन - जन तक पहुंचाने वाले भूपेन हजारिका के जन्म , शिक्षा और कृतित्व पर इस लेख में प्रकाश डाला गया है । भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हुए उन्हें ' भारत रत्न सम्मान से पुरस्कृत किया । अपनी आवाज से लाखों लोगों को प्रशंसक बनाने वाले कवि , संगीतकार , गायक , अभिनेता , पत्रकार , लेखक और निर्माता भूपेन हजारिका ने असम को समृद्ध लोक संस्कृति को गीतों के माध्यम से सारी दुनिया में पहुँचाया । संगीत प्रेमियों के लिए हजारिका प्रेम , प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं के गीतकार थे । वे ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत स्वयं लखने और संगीतबद्ध करते थे । उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है । भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को हुआ है । अपनी मूल भाषा असमिया के अतिरिक्त वे हिंदी , बांग्ला आदि अनेक भाषाओं के गीत भी गाते थे । हजारिका की असरदार आवाज़ में जिन्होंने उनके गीत ' ओ गंगा तू बहती है क्यों ' और ' दिल हूम - हूम करे ' को सुना है वह इस बात को अस्वीकार नहीं कर सकता कि भूपेन दा का जादू उस पर अवश्य चला है । फ़िल्म ...

जापान

   जापान को ' उगते हुए सूरज का देश कहा जाता है । प्रातःकाल उदित होत सूरज की सबसे पहली किरण जापान को ही नींद से जगाती है । इलेक्ट्रॉनिक्स और विज्ञान तकनीकी के क्षेत्र में जापान ने विशेष सफलता प्राप्त की है । यहाँ की तकनीक संपूर्ण विश्व में अपनी गुणवत्ता के लिए नाम कमा चुकी है । एफिल टावर से प्रेरित होकर 1958 में टोकियो के ' मिनटो ' नामक स्थान पर टोकियो टावर का निर्माण किया गया था । सफ़ेद और नारंगी रंग के इस टावर की ऊँचाई 333 मीटर ( लगभग 1093 फुट ) है । यह टावर अपनी ऊँचाई से जापान के तकनीकी विकास की घोषणा करता प्रतीत होता है । जापान में लोग एक दूसरे का अभिनंदन करने के लिए अपना सिर झुका कर , ' योरो शिकु आनेगाई शिमासु ' बोलते हैं । इसका अर्थ स्वागत करना होता है । जापान का पारंपरिक बौद्ध मंदिर ' कामाकुरा ' में स्थित है । इसकी स्थापना 1252 में हुई थी । इस मंदिर में स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा 13.35 मीटर ऊँची है । जापानी लोग पारंपरिक संस्कृति को अपनी बहुमूल्य धरोहर मानते हैं । यहाँ अधिकतर लोग पारंपरिक कपड़े ही पहनते हैं जिन्हें ' किमोनो ' कहते हैं । ये कपड...

हमारे बदलते गाँव

प्रस्तुत पाठ में गाँवों के बदलते स्वरूप का वर्णन किया गया है । यह भी बताया गया है कि इन बदलावों से गाँवों पर अच्छे और बुरे प्रभाव पड़े हैं और नई पीढ़ी गाँवों के विकास में योगदान दे सकती है । रेलगाड़ी ने स्टेशन छोड़ा । धीरे - धीरे स्टेशन पीछे छूटने लगा दादा ने चश्मा ठोक किया और किताब खोली । मोनू खिड़की से बाहर झाँक रहा था । अचानक उसने दादा जो का हाथ पकड़कर खींचा और कहा , " दादा जी देखिए सफ़ेद बकरियाँ " दादा जो ने खिड़की के बाहर देखा , फिर मुस्कुराकर बोले , “ मोनू बाबू , ये बकरियाँ नहीं भेड़ें हैं । " मोनू का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया । " इतनी सारी भेड़ें एक साथ ! " दादा जी ने किताब बंद करके एक ओर रख दी और मोनू से बोले , " भेड़ - बकरियों को तो हमेशा झुंड में ही पालते हैं । अब शाम घिर आई है इसलिए चरवाहे इन्हें वापस घर ले जा रहे हैं । बेटा , यह तो गाँवों का बड़ा स्वाभाविक सा दृश्य है कि सुबह पशु चारागाह * में चराने के लिए ले जाए जाते हैं और शाम को वे सब अपने - अपने घर लौट आते हैं । ' “ क्या जानवरों का भी घर होता है ? " मोनू ने पूछा । दादा जी के मुँ...