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महिला बॉक्सिंग के शिखर पर खड़ी : मैरी कॉम
विश्व मुक्केबाज़ी प्रतियोगिता की 5 बार विजेता रह चुकीं भारत की स्टार महिला मुक्केबाज एम ० सी ० मैरी कॉम ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत की शान में चार चाँद लगा दिए । विगत वर्ष 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरी कॉम का जन्म मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 01 मार्च , 1983 को एक गरीब किसान परिवार में हुआ था ।
महिला मुक्केबाजी के क्षेत्र में इतिहास रचनेवाली मैरी कॉम का बचपन अभावों के बीच गुज़रा है । अत्यंत मुश्किलों को झेलकर अपने बूते पर इस ऊँचे मुकाम तक पहुँचने का सफ़र पूरा करने वाली मैरी कॉम आज करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं । मैरी कॉम को इस मुकाम तक पहुँचाने में उनके माता - पिता के अतिरिक्त उनके साथी मणिपुरी बॉक्सर डिंग्को सिंह तथा उनके पति ओन्लर कॉम की भूमिका अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रही है । बचपन में अपने माता - पिता के साथ खेतों में काम करनेवाली तथा छोटे भाई - बहनों को छोटी उम्र से ही सँभालने वाली मैरी कॉम के अंदर दृढ़ संकल्प शक्ति एवं आत्मविश्वास से भरा एक ऐसा उत्साही मन है , जिसने उन्हें फर्श से अर्श पर लाकर बिठा दिया । महिला बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए उन्हें भारत सरकार ने वर्ष 2003 में ' अर्जुन पुरस्कार ' , वर्ष 2006 में ' पद्मश्री ' तथा वर्ष 2009 में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान ' राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार ' से सम्मानित किया । अत्यधिक गरीबी से संघर्ष करके जीवन में आगे बढ़नेवाली मैरी कॉम ने गरीब बच्चों और लड़कियों को मुक्केबाज़ी के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के ' मैरी कॉम बॉक्सिंग अकादमी ' खोली है । उनका स्पष्ट मानना है कि बॉक्सिंग तो वैसे भी लड़कियों की आत्मरक्षा की दृष्टि से बहुत उपयोगी है ।
अपने जीवन में कठोर परिश्रम , लगन एव आत्मविश्वास के बल पर सफलता की नई ऊँचाइयों को छूनेवाली मैरी कॉम आज करोड़ी युवाओं के लिए ' रोल मॉडल ' बन चुकी हैं ।
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