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अनूठा गुजरात

हमारा भारत देश महान है । इसमें उनतीस राज्य व सात केंद्रशासित प्रदेश हैं । इन्हीं राज्यों में से एक राज्य है- गुजरात विविध संस्कृतियों और लोक कलाओं को समेटे गुजरात एक अनूठा राज्य , जहाँ परंपराओं व आधुनिकता का अनुपम समावेश हुआ है । विशाल सागर तट , भाँति - भाँति की लोक - संस्कृतियाँ , सोमनाथ का मंदिर , दूर तक फैला कच्च का रेगिस्तान , श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका , साबरमती का आश्रम - इन सबसे मिलकर बना गुजरात । गुजरात का नाम लेते ही याद आता है यहाँ धूमधाम से मनाया जाने वाला नवरात्रि महोत्सव और गरबा नृत्य करते थिरकते - झूमते गुजराती लोग ।  पश्चिमी भारत में स्थित गुजरात एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण राज्य है । प्राचीन काल में यहाँ गुर्जरों का साम्राज्य होने के कारण इसे ' गुर्जरभूमि ' कहा जाता था , यहीं से इसका नाम गुजरात पड़ा । मौर्य , गुप्त , प्रतिहार जैसे अनेक प्रसिद्ध राजवंशों ने यहाँ राज्य किया । महमूद गज़नवी द्वारा सत्रह बार की गई लूट - पाट के बावजूद चालुक्य राजाओं का शासनकाल गुजरात में प्रगति और समृद्धि का युग था । गुजरात ने अपनी परंपराओं को आज तक जीवित रखा है । प्रतिवर्ष 14 जनवरी को अहम...

युग पुरुष स्वामी विवेकानंद की जीवनी

" भारत की मिट्टी ही मेरा स्वर्ग है और हर भारतवासी मेरा बंधु है । " ये शब्द हैं भारत भूमि के गौरव स्वामी विवेकानंद के मात्र एक वाक्यांश- " मेरे अमरीकी भाइयो और बहनो ! " कहकर अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र को भी वशीभूत कर लेने वाले स्वामी विवेकानंद एक अनुपम वक्ता , वेदों के मर्मज्ञ , परम योगी तथा सच्चे देशभक्त थे । स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी , 1863 को कलकत्ता शहर में हुआ था । उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त एक सुप्रसिद्ध वकील तथा फारसी और संस्कृत भाषा के ज्ञाता थे । वे बेहद धार्मिक , समाजसेवी व प्रगतिशील विचारों से युक्त व्यक्तित्व थे । नरेंद्र की माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी अत्यंत धार्मिक और विदुषी महिला थीं । बालक नरेंद्र में भी माता - पिता के गुण सहज रूप से आए थे तथा ध्यानोपासना , प्रवल तार्किक शक्ति , कुशाग्रबुद्धि आदि विशेषताएँ उनके स्वभाव में थीं ।  परम संन्यासी श्री रामकृष्ण परमहंस के रूप में उन्हें अद्वितीय गुरु मिले सन् 1881 में इन दोनों दिव्यात्मा पुरुषों का मिलन हुआ था । परमहंस जी ने ही नरेंद्र देव को एक ऐसा महान वट वृक्ष बनने की प्रेरणा दी , जिसकी छत्रछाया म...

बॉक्सर मैरी कॉम की जीवनी

  महिला बॉक्सिंग के शिखर पर खड़ी : मैरी कॉम  विश्व मुक्केबाज़ी प्रतियोगिता की 5 बार विजेता रह चुकीं भारत की स्टार महिला मुक्केबाज एम ० सी ० मैरी कॉम ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत की शान में चार चाँद लगा दिए । विगत वर्ष 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरी कॉम का जन्म मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 01 मार्च , 1983 को एक गरीब किसान परिवार में हुआ था ।  महिला मुक्केबाजी के क्षेत्र में इतिहास रचनेवाली मैरी कॉम का बचपन अभावों के बीच गुज़रा है । अत्यंत मुश्किलों को झेलकर अपने बूते पर इस ऊँचे मुकाम तक पहुँचने का सफ़र पूरा करने वाली मैरी कॉम आज करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं । मैरी कॉम को इस मुकाम तक पहुँचाने में उनके माता - पिता के अतिरिक्त उनके साथी मणिपुरी बॉक्सर डिंग्को सिंह तथा उनके पति ओन्लर कॉम की भूमिका अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रही है । बचपन में अपने माता - पिता के साथ खेतों में काम करनेवाली तथा छोटे भाई - बहनों को छोटी उम्र से ही सँभालने वाली मैरी कॉम के अंदर दृढ़ संकल्प शक्ति एवं आत्मविश्वास से भरा एक ऐसा उत्साही मन है , जिसने उ...

आकाश में भारत के प्रहरी भारतीय वायुसेना

26 फ़रवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पड़ोसी देश में घुसकर कई सारे आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया । शांतिकाल में भारतीय वायुसेना के द्वारा किया गया पहला इस स्तर का ऑपरेशन है । इस ऐतिहासिक कार्यवाही को लेकर जब पूरे देश में हर्ष ही भावना छाई है , हमें उस फ़ौजी क्षमता और हथियारों के विषय में भी जानकारी रखनी चाहिए जिसने हमें ये मुखद क्षण महेया कराए हैं । इस ऑपरेशन में मिराज -2000 लड़ाकू विमानों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । 21 मई 2015 को इसे दिल्ली के पास यमुना एक्सप्रेस वे पर उतारा गया था । यह आपातकाल में कहीं पर भी उत्तरने में सक्षम है । यह कोई पहला मौका नहीं है जब यह विमान वायुसेना की उम्मीदों पर खरा उतरा है । 1999 के कारगिल युद्ध के समय में भी ने खासी भूमिका निभाई थी । कारगिल युद्ध में नियंत्रण रेखा ( एल ० ओ ० सी ० ) पार किए बिना भी इस विमान ने बहुत आतंकी ठिकानों को तबाह किया था । उस युद्ध के दौरान मिराज ने 15,000 फ़ीट से ज्यादा की ऊँचाई पर 500 से अधिक उड़ाने भरी थीं और 55,000 विस्फ़ोटक फेंक कर युद्ध को निर्णायक स्थिति में पहुँचाया था । तब मिराज ने दुश्मन के ठिकानों लेज़र गाइड बम ग...

भारत रत्न सम्मान से पुरस्कृत भूपेन हजारिका की जीवनी

भारत के लोक संगीत को जन - जन तक पहुंचाने वाले भूपेन हजारिका के जन्म , शिक्षा और कृतित्व पर इस लेख में प्रकाश डाला गया है । भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हुए उन्हें ' भारत रत्न सम्मान से पुरस्कृत किया । अपनी आवाज से लाखों लोगों को प्रशंसक बनाने वाले कवि , संगीतकार , गायक , अभिनेता , पत्रकार , लेखक और निर्माता भूपेन हजारिका ने असम को समृद्ध लोक संस्कृति को गीतों के माध्यम से सारी दुनिया में पहुँचाया । संगीत प्रेमियों के लिए हजारिका प्रेम , प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं के गीतकार थे । वे ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत स्वयं लखने और संगीतबद्ध करते थे । उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है । भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को हुआ है । अपनी मूल भाषा असमिया के अतिरिक्त वे हिंदी , बांग्ला आदि अनेक भाषाओं के गीत भी गाते थे । हजारिका की असरदार आवाज़ में जिन्होंने उनके गीत ' ओ गंगा तू बहती है क्यों ' और ' दिल हूम - हूम करे ' को सुना है वह इस बात को अस्वीकार नहीं कर सकता कि भूपेन दा का जादू उस पर अवश्य चला है । फ़िल्म ...

जापान

   जापान को ' उगते हुए सूरज का देश कहा जाता है । प्रातःकाल उदित होत सूरज की सबसे पहली किरण जापान को ही नींद से जगाती है । इलेक्ट्रॉनिक्स और विज्ञान तकनीकी के क्षेत्र में जापान ने विशेष सफलता प्राप्त की है । यहाँ की तकनीक संपूर्ण विश्व में अपनी गुणवत्ता के लिए नाम कमा चुकी है । एफिल टावर से प्रेरित होकर 1958 में टोकियो के ' मिनटो ' नामक स्थान पर टोकियो टावर का निर्माण किया गया था । सफ़ेद और नारंगी रंग के इस टावर की ऊँचाई 333 मीटर ( लगभग 1093 फुट ) है । यह टावर अपनी ऊँचाई से जापान के तकनीकी विकास की घोषणा करता प्रतीत होता है । जापान में लोग एक दूसरे का अभिनंदन करने के लिए अपना सिर झुका कर , ' योरो शिकु आनेगाई शिमासु ' बोलते हैं । इसका अर्थ स्वागत करना होता है । जापान का पारंपरिक बौद्ध मंदिर ' कामाकुरा ' में स्थित है । इसकी स्थापना 1252 में हुई थी । इस मंदिर में स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा 13.35 मीटर ऊँची है । जापानी लोग पारंपरिक संस्कृति को अपनी बहुमूल्य धरोहर मानते हैं । यहाँ अधिकतर लोग पारंपरिक कपड़े ही पहनते हैं जिन्हें ' किमोनो ' कहते हैं । ये कपड...

हमारे बदलते गाँव

प्रस्तुत पाठ में गाँवों के बदलते स्वरूप का वर्णन किया गया है । यह भी बताया गया है कि इन बदलावों से गाँवों पर अच्छे और बुरे प्रभाव पड़े हैं और नई पीढ़ी गाँवों के विकास में योगदान दे सकती है । रेलगाड़ी ने स्टेशन छोड़ा । धीरे - धीरे स्टेशन पीछे छूटने लगा दादा ने चश्मा ठोक किया और किताब खोली । मोनू खिड़की से बाहर झाँक रहा था । अचानक उसने दादा जो का हाथ पकड़कर खींचा और कहा , " दादा जी देखिए सफ़ेद बकरियाँ " दादा जो ने खिड़की के बाहर देखा , फिर मुस्कुराकर बोले , “ मोनू बाबू , ये बकरियाँ नहीं भेड़ें हैं । " मोनू का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया । " इतनी सारी भेड़ें एक साथ ! " दादा जी ने किताब बंद करके एक ओर रख दी और मोनू से बोले , " भेड़ - बकरियों को तो हमेशा झुंड में ही पालते हैं । अब शाम घिर आई है इसलिए चरवाहे इन्हें वापस घर ले जा रहे हैं । बेटा , यह तो गाँवों का बड़ा स्वाभाविक सा दृश्य है कि सुबह पशु चारागाह * में चराने के लिए ले जाए जाते हैं और शाम को वे सब अपने - अपने घर लौट आते हैं । ' “ क्या जानवरों का भी घर होता है ? " मोनू ने पूछा । दादा जी के मुँ...